बात उस दौर की है जब 2008 में पूरी दुनिया जहा आर्थिक मंदी कारण बदल रही थी , तब मेरे जीवन में भी एक बदलाव हुआ, 9th क्लास में नए स्कूल में एडमिशन। पुराने स्कूल में एक 8th क्लास के स्टूडेंट के हिसाब से अपना काफी अच्छा भोकाल था, बहुत दोस्त थे, टीचर्स से अच्छी बनती थी , प्रिंसिपल भी अपने को जानती थी और पढाई में भी अपन टॉप पर रहते थे। भगवान् कसम घमंड नहीं था, पर अच्छा बहुत लगता था|
पर जब नए स्कूल में आये तोह यहाँ भोकाल-लेस्स थे। टॉप करने की न ही कभी चाहत थी, न ही घर से कभी प्रेशर। नए स्कूल में दोस्त बनाने, टीचर्स और प्रिंसिपल की नज़रो में आने में समय लग जाता, पर भोकाल तोह चाहिए था। चूँकि मेरी उम्र के हिसाब से मैं ज्यादा ही समझदार रहा हूँ इसलिए अपने को पता था की अगर तत्काल भोकाल बनाना है तोह 2 चीज़ो के सहारे किया जा सकता था
१- प्यार से
२- लड़ाई से
लड़ाई से अपन कभी डरते नहीं थे, क्यूंकि २ बड़े भाइयों का पूरा सपोर्ट था, मोहल्ले के भी भैया लोगो का साथ था। पर अपन ठहरे गांधीजी के फैन, दिल से एकदम अहिंसावादी भावना वाले, तोह मेरे लिए प्यार का रास्ता चुनना ही स्वाभाविक था|

नए स्कूल में अपन 9th B सेक्शन मैं थे |सेक्शन से बहार शायद ही कोई अपने को जानता था|नए स्कूल में अभी दूसरा ही महीना हुआ था की अपने को पहला क्रश आ गया, 9th C की मीनाक्षी पर| स्कूल असेंबली लाइन से लेकर रेसस्स में पानी भरने तक, जब भी मौका मिलता उसकी स्माइल देखना कभी मिस नहीं किया।
जैसा की मैंने आपको पहले बताया, उम्र के हिसाब से अपन ज्यादा समझदार तोह थे ही, तोह अपन ने लगाया दिमाग। बॉलीवुड फिल्मो के अपन हमेशा से ही भारी फैन रहे है, और जब भी हीरो, भरी सभा में हीरोइन को प्रोपोज़ करता था, वो अपना पसंदीदा पल हुआ करता था। दिमाग ने इस आईडिया को प्लान में बदल दिया| भरी सभा में मीनाक्षी को प्रोपोज़ करेंगे, उसका दिल भी जीतेंगे और भोकाल बनेगा सो अलग। प्लान तैयार था बस अमल करने की देर थी। प्रोपोज़ करने का समय और लोकेशन, दोनों तय हो चुकी थी – स्कूल छुटी के समय ग्राउंड में, जहा कई सारे लोग मौजूद रहते थे।
डी-डे आ गया, छुट्टी हो गयी थी, दिल की धड़कने बड़ी हुई थी लेकिन उससे ज्यादा एक्ससिटेमेंट थी के कल से अपना नाम दूसरी क्लास के बच्चे भी जानेंगे| मीनाक्षी अपनी 4 दोस्तों के साथ जा रही थी। आस पास दूसरे बच्चे भी अपनी अपनी टैक्सी और बस के लिए वेट कर रहे थे। अपन ने मीनाक्षी को पीछे से आवाज़ लगायी, उसके साथ साथ उसकी 4 दोस्त भी पीछे मुड़ी, फिर मैं उनके थोड़ा करीब बढ़ा। आस पास के 5-6 लोग भी मुझे देखने लगे। मीनाक्षी के सामने जाकर, मैंने बेबाक और बड़ी पाक फीलिंग्स के साथ बोल दिया , मीनाक्षी, आई लाइक यू, विल यू बी माय गर्लफ्रेंड? उस माहौल के अगले 10 सेकण्ड्स सब के लिए रुक गए थे और मेरे अलावा बाकी सब भी मीनाक्षी की ओर देखने लग गए।
मीनाक्षी ने बड़े ही सहजता और प्यार से जवाब दिया – सॉरी यह नहीं हो सकता। अब उस माहौल के अगले 10 सेकण्ड्स फिर से रुक गए और इस बार सब मेरी ओर देखने लग गए। मैंने भी बड़े ही शान्ति से रिप्लाई दिया, ओके नो प्रॉब्लम।
ये कहकर मैं मुड़ गया और वहाँ से निकल गया। क्यूंकि अपन रिजेक्शन और हार से डरने वालों में से कभी थे नहीं, तोह रोना या गुस्सा तोह आया ही नहीं। न ही ये सोचा की दुनिया और मीनाक्षी क्या सोच रही होंगी अपने बारे में। क्योकि इस प्लान की एक और ख़ास बात थी, अगर मीनाक्षी ना भी कर देती तोह भी ये खबर स्कूल में सबको मिलती और अपना नाम फैल तो जाता ही।
मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल चल रहा था की आखिर इतना बढ़िया प्लान जो बॉलीवुड फिल्मो में हर हीरो के लिए काम करता आया है आखिर मेरे लिए क्यों नहीं किया?
इस किस्से के बाद थोड़ा बहुत नाम हुआ, पर भोकाल के लिए फिर और कोई प्लान कभी नहीं बनाये। धीरे ही सही नए स्कूल में कुछ महीनो के बाद भोकाल तो बन गया था, वह भी बिना किसी प्लान के। पर वो सवाल दिमाग में हमेशा रहा।
समय आगे बढ़ गया, स्कूल से कॉलेज आ गया पर सवाल हमेशा साथ रहा। अब 2012 चल रहा था, इस साल में आयी गैंग्स ऑफ़ वास्सेय्पुर मूवी, के पार्ट २ में, ठीक 89 मिनट पर रामाधीर सिंह बोले –

मुझे जवाब मिल गया|
Great post. Thoroughly entertaining. 😁
LikeLiked by 1 person
Literally rofl 🤣🤣
LikeLiked by 1 person
Nostalgic feeling wapas aa gyi.
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में यह खुशी का पल अवश्य ही आया होगा, जब आपको अपने लंच के खत्म होने से ज्यादा इंतजार सामने वाले के लंच से हो, जब आप बात तो अपने मित्र से कर रहे हों परन्तु सुनाना किसी और को ही चाहते हो। हमें इस बात का तो दुख है कि हमारी कहानी की ending बहुत अच्छी नहीं हुई परन्तु हमें आज भी वो समय हमारा स्वर्णयुग ही लगता है।
LikeLiked by 1 person