
पिछले हफ्ते अहमदाबाद एक निजी कार्य से जाना हुआ। काम खत्म करने के बाद, और परिजनों के लिए मिठाइयाँ खरीदने के बाद, मेरी जोधपुर की ट्रेन में अभी तीन घंटे थे। सोचने लगा कि इस समय का कैसे उपयोग करूँ। तभी नज़र महात्मा गांधी साबरमती आश्रम पर पड़ी, और मैंने वहाँ जाने का निर्णय लिया।
करीब दो घंटे आश्रम में बिताए और एक गहरे अनुभव के साथ लौटा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस जगह आकर मन को इतनी शांति मिलेगी। इतिहास का छात्र होने के नाते और गांधीजी की जीवनी से प्रेरित होने के कारण, इस स्थान का मुझे प्रभावित करना स्वाभाविक था।
जैसे ही पहुँचा, सबसे पहले एक पेड़ के नीचे बैठ गया। बीस मिनट बस यूँ ही वहाँ बैठा रहा—न कोई फोन, न कोई तस्वीरें—सिर्फ माहौल को महसूस कर रहा था। उस दिन आश्रम में कई लोग थे—कुछ कॉलेज की छात्राएँ, जो तस्वीरें ले रही थीं, कुछ वरिष्ठ नागरिक, जो इतिहास पर चर्चा कर रहे थे, और कुछ विदेशी पर्यटक, जो दिलचस्पी से हर चीज़ को समझने का प्रयास कर रहे थे। वहीं, कुछ लोग बस सुकून के लिए आए थे। मैं बस यह सब देखता रहा, पेड़ की छाँव में बैठकर।
फिर उठा और आश्रम को देखने निकला। सबसे पहले पुस्तकालय गया, जहाँ गांधीजी से संबंधित कई किताबें थीं। कुछ समय वहाँ बिताकर दो किताबें खरीद लीं। इसके बाद खादी की दुकान में गया, लेकिन वहाँ रुका नहीं क्योंकि खादी के कपड़ों की डिज़ाइन मुझे पसंद नहीं आई। फिर संग्रहालय पहुँचा, जहाँ गांधीजी और आश्रम से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियाँ थीं। हर तस्वीर और विवरण पढ़कर महसूस हुआ कि यह स्थान सिर्फ गांधीजी की वजह से नहीं, बल्कि यहाँ आने वाले अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सुधारकों के संघर्षों की वजह से ऐतिहासिक है।
मुझे आश्रम में दो स्थान सबसे अधिक प्रिय लगे:
1. प्रार्थना भूमि:
यह वह स्थान है जहाँ आश्रमवासी प्रतिदिन प्रार्थना किया करते थे। मैंने शायद ही अपने जीवन में कभी अच्छे से प्रार्थना की होगी, लेकिन इस जगह बैठकर एहसास हुआ कि प्रार्थना का जीवन में क्या महत्व हो सकता है। मन में ठान लिया कि कोशिश करूँगा इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने की। अगर कभी सफल हुआ, तो इसका श्रेय निश्चित रूप से इस स्थान को दूँगा। 🙏
2. साबरमती नदी का किनारा:
आश्रम की एक खासियत यह भी है कि यह साबरमती नदी के किनारे स्थित है। वहाँ बैठकर जो शांति महसूस हुई, वह अविस्मरणीय थी। बस बहते पानी को देखते हुए समय बिताया, जैसे जीवन को बहते देख रहा हूँ। यह अनुभव बेहद सुकून देने वाला था। 😊
साबरमती आश्रम की इस यात्रा ने मुझे तरोताजा कर दिया ।
इस यात्रा ने मेरे बचपन की एक चाहत जगा दी —पोरबंदर की यात्रा।
