“अगर हिम्मत है तो थप्पड़ मार के दिखा!”
ये बात मेरे मोहल्ले के एक दोस्त ने मुझसे कही थी। हम गली में क्रिकेट खेल रहे थे और किसी बात पर बहस हो गई थी। उस उम्र में छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना आम था। पर मैं चुप रहा। मेरा हाथ नहीं उठा। मैं वहाँ उसको कुछ तोह भी कहकर वहां से चला आया।

उस शाम मुझे बहुत बुरा लगा। लगा जैसे मेरे अंदर कोई हिम्मत ही नहीं। आठवीं क्लास के लड़के के लिए ये बहुत शर्मिंदगी वाली बात लगी मुझे। ऐसी बातें दोस्त सालों तक चिढ़ाते हैं। लेकिन मैंने घर पर किसी को नहीं बताया। अगले दिन रोज़ की तरह स्कूल चला गया।

उस दिन हमारी हिंदी टीचर की छुट्टी थी, तो उस पीरियड में इंग्लिश मैम, अनीता मैम, आईं। अनीता मैम मुझे बहुत कूल लगती थीं। और असल में थीं भी। उस दिन उन्होंने कोई पढ़ाई नहीं करवाई, बस बच्चों से बातें कीं। फिर उन्होंने पूछा, “कोई है क्लास में जो अभी डांस कर सकता है?”
पता नहीं कैसे मेरा हाथ उठ गया और मैंने उस दौर के मशहूर गाने “कजरा-रे” गाने पर डांस कर दिया। क्लास से तालियाँ मिलीं। और अनीता मैम ने कहा—”तुम्हारा डांस बहुत अच्छा था, लेकिन उससे भी ज्यादा तुम्हारी हिम्मत पसंद आई।”

मैं थोड़ी देर चुप रह गया। क्यूंकि कल तक तो मुझे लग रहा था कि मुझमें हिम्मत नहीं, और आज मैम कह रही हैं कि है मैं हिम्मती हूँ। मन उलझ गया मेरा।

पीरियड के बाद मैंने अनीता मैम से बात करने की इजाज़त मांगी और उन्हें पूरा किस्सा बता दिया कल का, मोहल्ले का, और मुझमें हिम्मत ना होने का।
अनीता मैम मुस्कराईं और बहुत सहजता से मुझे समझाया:

“हिम्मत को इंग्लिश में Courage कहते हैं। और ये शब्द आया है फ्रेंच शब्द Corage से, जिसमें cor का मतलब होता है दिल। मतलब हिम्मत वो होती है जो दिल से आती है।
ये सिर्फ लड़ाई-झगड़े की बात नहीं है। डर, दर्द, सच्चाई, और मुश्किल हालात का सामना करना भी हिम्मत है। इसलिए खुद को कभी मत कहना कि तुममें हिम्मत नहीं।”

उनकी ये बात बहुत भारी थी पर मेरे अंदर गहराई से उतर गई।
आज मुझे लगता है कि हिम्मत सिर्फ हाथ उठाने में नहीं है, बल्कि उस फैसले के असर को समझने, सहने और सही-गलत के बीच सोचने में भी होती है। अगर सच में हिम्मती बनना है, तो अपने दिल को मज़बूत बनाना होगा। ताकि मैं हर हालात का सामना कर सकूं चाहे काम से जुड़ी बात हो, घर की, या रिश्तों की। क्योंकि साहब, ज़िंदगी के हर पहलू में जैसे स्वाद बदलता है, वैसे ही हिम्मत की ज़रूरत भी बदलती रहती है।

अगर आज भी मुझसे पूछा जाए, क्या मैं उस दोस्त को मार देता?

मेरा जवाब ना ही रहेगा।
क्योंकि मेरे दिल से कभी ऐसी आवाज़ नहीं आई जो उसे चोट पहुंचाना चाहती थी।
शायद बहादुरी के पैमाने पर आज भी मैं कमज़ोर लगूं, पर दिल से… मैं आज भी हिम्मती हूँ।

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