
कहानी का भाग-1 यहाँ से पढ़ें- प्रेम पत्र का जवाब
मैंने पायल की ओर देख कर कहा,”यार तुमने मेरे बारें में इतनी अच्छी बातें लिखी हैं। मुझे नहीं पता था, की तुम मुझे इतना पसंद करती हो।” फिर मैंने अपने जेब से वो प्रेम पत्र निकाला। पायल की आँखें चमक उठी उसे देख कर।
मैंने बड़े ही सलीखे के साथ पायल के एक हाथ को पकड़ा और उसे प्रेम पत्र थमाया। नम्र स्वर में अपनी बात रखी,”पायल मुझे तुम्हारा पत्र और भावनाएं काफी छू गयी और इसका मैं आदर करता हूँ। पर यार मेरे मन में तुम्हारे लिए वो-वाली फीलिंग्स नहीं है। इसलिए मुझे लगता है की हमारे बीच वो-वाला रिलेशनशिप नहीं हो सकता है।” 😌
“मैं ये पत्र इसलिए लाया हूँ क्यूंकि इसे तुमने अपने प्रेम-भाव से लिखा है। ये तुम्हारा है। अब इसे तुम्हे रखना है या जलाना है इसका फैसला तुम्हारा होना चाहिए , मेरा नहीं।” पायल के आँखों के चमक की जगह अब आंसू की बूँदें दिखने लगी। प्रेम पत्र को पायल ने अपने हाथ की मुट्ठी में दबाया और अपने हाथ को मेरे हाथ से झटकाया। वो क्लास की ओर दौड़ने लगी और उसकी आँखों से धारा बहने लगी। 😭
मैंने जल का भोग लगाया और अब बिना स्कूल के कॉरिडोर में टाइम पास किये क्लास की ओर चल दिया। जो क्लास सुबह से कोर्ट-सी बनी हुई थी, उसमे फैसले के बाद वाली चहल-कदमी शुरू हो गयी थी।। पायल अपने बेंच पर बैठ कर रो रही थी और उसके दोस्त उसे संभाल रहे थे। बाकी क्लास मुड़-मुड़ कर हम दोनों को देखने लगी। उस क्लास ने मन ही मन में, मेरे इस फैसले को पाप और मुझे मुज़रिम घोषित कर दिया था। अंदर से पूरा सहमा हुआ था मैं भी। पायल का रोना सबको दिखा पर मेरे अंदर का भयग्रस्त भाव किसी को भी नहीं। 😥
मैं चुप-चाप अपनी बेंच पर जा कर बैठा और नीचे सिर रख कर आँखें बंद कर ली। उधर साला छुट्टी की घंटी ही नहीं बज रही थी। उस दिन छुट्टी के इंतज़ार में बिताया हुआ एक-एक मिनट भी घंटों सा लगने लगा। तब ही ज़ीनत मेरे बेंच पर आयी और मेरे पास आकर कर,”डर मत यार। ये वक़्त भी निकल जाएगा। अपन कल अच्छे से बात करते है इस बारें में” कहकर वो चली गयी। स्कूल की छुट्टी की घंटी भी बज गयी, आखिरकार। ऐसा लगा जैसे ज़ीनत के डायलाग का ही वेट कर रही थी, घंटी। 😅
अब देखो घर तोह ऐसे मुँह लटकाये जा नहीं सकते थे अन्यथा घरवाले जासूस बनकर पूरी कथा पुछवा लेते और उसके बाद मेरा डंडों से कीर्तन कर देते। दिन निकाला वो जैसे-तैसे। अब अगला दिन आया स्कूल का, क्लास में वो ही गंभीर सा माहौल। अपन भी बिना किसी से बात किये बेंच पर जा बैठे। फिर आ गए अपने ग्रुप के 4 लड़के और ज़ीनत, मेरा दिल हल्का करने। उनसे पता चला की पायल स्कूल ही नहीं आयी। वैसे पायल अगले 5 दिन तक स्कूल नहीं आयी। अब ऐसी घटना केवल क्लास तक थोड़ी-ना सीमित रहती है। बन गया अपना किस्सा स्कूल की चर्चाओं का विषय। 😒
कुछ लोगों ने अपने आँखों के तेवर से और कुछ सीधा मुँह पर पूछ लेते थे,”क्यों मना किया तूने उसे?”। अब यार, मुझसे कोई अगर आज पूछे तोह मैं कई सुफीयाने व तर्कसंगत कारण दे सकता हूँ, पायल के साथ रिलेशनशिप में ना आने के। पर उस दसवीं क्लास के लड़के के पास तोह वो ही सरल-सा कारण और जवाब था। उतनी ही समझ थी उसकी। पता नहीं उस क्लास व स्कूल को क्यों समझ नहीं आया? 😬
ख़ैर आज भी ये किस्सा जब याद आता है , तोह अपने जवाब का बिलकुल खेद नहीं लगता। मेरा मानना है की उस वक़्त पायल या जो भी दूसरे लोग थे उन्हें मुझसे नफ़रत नहीं ,पर हाँ निराशा जर्रूर हुई होगी। शायद सब चाहतें थे की, हम दोनों रिलेशनशिप में आये जिसके बारे स्कूल में अच्छी बातें व गॉसिपें की जा सकें। शायद उन सबको वो-एक स्कूल लव स्टोरी की उम्मीद थी। 😇
वैसे मज़्ज़े की बात बताओ आपको, हमारी उस दसवीं क्लास ख़तम होने से ठीक 2 महीने पहले, उस क्लास को वो-एक कपल और वो-एक लव स्टोरी मिल ही गयी।
मेरे और ज़ीनत की ❤️
👌👌
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