
इससे पहले की आप बिंदु की छवि किसी लड़की के रूप में सोचें, मैं स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूँ, बिंदु एक छिपकली का नाम है। जी हाँ मैं समझ सकता हूँ, आप थोड़ा-सा आश्चर्य कर रहे होंगे की, छिपकली का नाम बिंदु कौन रखता है? 😅
दरअसल बात ऐसी है कुछ 5-6 महीने पहले , अक्सर रात मेरे कमरे में एक छिपकली आया करती थी। मुझे उसके कमरे में रहने से कभी फर्क नहीं पड़ा इसलिए कभी उसे कमरे से भगाने की चेष्टा भी नहीं हुई। वो छिपकली रात में आती, अपना कोने में बैठी रहती, और थोड़ी-थोड़ी देर में कमरे की दीवारों पर इधर-उधर घूम लेती। वो छिपकली मुझे कभी भी सुबह या दिन के समय में नहीं दिखती थी। 🙂
एक रात ऐसी ही उस पर ध्यान पड़ा और मैंने सोचा की ये छिपकली रोज़ रात के समय में ही क्यों आती है व रातभर क्या करती रहती होगी? फिर लगा की शायद ये मुझे अकेला देख कमरे में कंपनी देने के लिए आती हो। बस उस दिन से मैंने उसका नाम बिंदु रख दिया और उसे अपना दोस्त मान लिया। 😊
अब बिंदु मेरे रोज़ रात की गतिविधियों का हिस्सा बन गयी। फिर चाहे फ़ोन पर दोस्तों से बातें हो या यूट्यूब पर कोई वीडियो देखना हो, बिंदु को सब बातें पता रहती। जब मैं कभी खुद से बात किया करता और अपने विचारों से कशमश करता, बिंदु मुझे सराहनीय नज़रों से देखती मानो कह रही हो, “हाँ मैं समझ सकती हूँ।” बिंदु ने सुबह व दिन में कभी मुझे डिस्टर्ब भी नहीं किया, जैसे हमारे रिश्ते को स्पेस दे रही हो। 🤗
फिर एक रात बिंदु नहीं आयी। और ऐसी अगली 5 रातों को भी न आयी। मैंने उसे दूसरे कमरों में भी रात के समय देखा पर वहां भी नहीं दिखी। फिर अगले दिन शाम के समय मैं छत पर घूमने गया। तोह मुझे बिंदु छत की दिवार पर बैठे दिखी। स्वाभाविक है की वो बोल नहीं सकती पर ऐसा लगा की वो मुझसे कह रही है की,”मैंने अब आपका रूम छोड़ दिया है, अब मुझे किसी ओर जगह जाना होगा। आप अपना ध्यान रखना, और अपने मूलमंत्र खुश रहना-खुश रखना पर चलते रहना।” बस वो आखरी मुलाक़ात थी हमारी।😌
मेरे ना बहुत दोस्त हैं, और सबके कुछ न कुछ किस्से है जो मैं अक्सर किसी न किसी को सुनाया करता हूँ। बस इसलिए आज अपनी दोस्त बिंदु का ये किस्सा आपके साथ साझा कर रहा हूँ।😄