कल अपनी लॉन में टहलते-टहलते एक सवाल मन में आया की मेरी पीढ़ी के लोग अपने रिश्तों को चाचा, मामा, फूफा, दादा,और नाना से सम्बोधित करते हैं। पर मेरे भतीजे की पीढ़ी वाले बच्चें अपने रिश्तों के लिए चाचू, मामू, फुफू, दादू और नानू का प्रयोग करते हैं। तोह ऐसा हमारी पीढ़ी से उनकी पीढ़ी के बीच में क्या हुआ, की रिश्तों में आने वाला आ की जगह अब ऊ लगने लगा?
फिर ये गहरा सवाल लेकर मैं पहुँचा आज अपने भैया-भाभी के पास और उनसे इसका जवाब पूछा। भाभी से उत्तर मिला की,”अभी के बच्चों की पीढ़ी को हम लोग ज्यादा ही लाड़-प्यार का एहसास दिला देते हैं। और ये बच्चों को शुरू से ही बार-बार अउलेलुलेलू करने के चक्कर में हम सब चाचू , मामू, फुफू, दादू और नानू बन गए हैं।
फिर भैया ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी की,”हमारे पीढ़ी के उच्चारण में और रिश्तों में उस आ की वजह से एक फॉर्मल-सा रिश्ता बना रहा जिसकी अपनी एक गरिमा रही है, पहले के समय के हिसाब से। पर अभी बच्चों की पीढ़ी के उच्चारण में और रिश्तों में उस ऊ की वजह से एक कैज़ुअल-सा रिश्ता बन रहा है, जिसकी अपनी एक महिमा है, आज के समय के हिसाब से।
मुझे तोह दोनों जवाब बड़े अच्छे लगे। अगर आपके पास भी इसका कोई जवाब हो तोह जर्रूर बताना।
