प्यार मुझे जीवन का सबसे खूबसूरत संकल्पना लगता है। प्यार ही हमें अपने अस्तित्व की ख़ुशी का एहसास कराता है। प्यार सद्धभावना का वो धागा है जो हमें इंसानो से, निर्जीव चीज़ों से, जानवरों से, कुदरत से जोड़ कर रखता है। हम अपने जीवन के अगर सबसे पसंदीदा पलों को याद करें, तोह उनमें भी हमें प्यार की भूमिका जरूर मिलेगी।

बचपन में सबसे पहला प्यार मुझे क्रिकेट से हुआ था। दिन-रात, सर्दी-गर्मी, शहर-गाँव, गली-मैदान, और मेरा साथ हमेशा रहा था। मेरा क्रिकेट प्रेम इतना निष्पक्ष था की छोटे हो या बड़े मैच, मैं हमेशा जोश और गंभीरता के साथ खेलता था। उसके बाद प्रेम हुआ मुझे फिल्मों से। फिल्मों की दुनिया मुझे बड़ी पसंद है क्यूंकि वो की कल्पना को बड़े परदे पर दिखा कर लोगों से तालियां और सीटियां बजवाने का माद्दा रखती हैं। फिल्में एक ऐसा माध्यम है जो हमारे अंदर की सभी प्रकार की भावनाओं को जगा देती है। उसके बाद हुआ इश्क़ मुझे किताबों से। किताबों से हुआ इश्क़ मेरा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। इस किताब प्रेम ने मुझे बहुत सिखाया और जीवन को बेहतर दृष्टिकोण से देखने का नजरिया दिया। उसके बाद हुआ मुझे प्यार इंसानो से। इंसानों के साथ हुए प्यार के बारे में, कभी और बात करेंगे।

आप समझ ही सकते हैं की मेरा प्यार की तरफ कितना झुकाव है। मुझे बेहद पसंद है प्यार में रहना। मेरा मानना है की हमें सम्पूर्ण प्यार की प्रापति तब ही हो सकती है अगर हम प्यार से जुड़ी अपनी ज़िम्मेदारी को सही से निभाए। प्यार वो शक्ति है जो हमें ताकतवर तोह बनाती है पर उस शक्ति को अगर संभाल नहीं पाए तोह वो हमारा ही नुक्सान कर देती है। हम सबको किसी न किसी के प्यार ने एक बेहतर इंसान बनाया है या हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं ऐसा महसूस कराया है। यकीन मानिये इस धरती पर प्यार की भावना ही एकमात्र वो बल जो इस दुनिया को बेहतर बना सकती है।

P.S- प्यार ऐसा करें जिससे आबादी मिलें, बर्बादी नहीं।
#30_DAYS_SERIES

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