
किसी भी अवसर के लिए दूसरा मौका मिलना हमें अपनी समझदारी का एहसास दिलाता है। क्यूंकि इस दूसरे मौके में हम अवगत रहते हैं, उस कार्य से जुड़ी सही-गलत बातों का जो हमने पहले देख रखी हैं। पर फिर ये दूसरे मौके अपने साथ लाते हैं डर और विफलता का एहसास भी जो हमें पहली बार हुआ था। बड़ा अजीब है ये दूसरा मौका, समझदार भी बनाता है और डरपोक भी।
मैंने सिविल सर्विसेज एग्जाम के 4 एटेम्पट दिए हैं। पहले एटेम्पट की असफलता के बाद जब दूसरे एटेम्पट की तैयारी हो रही थी, तब जोश और पढाई दोनों सही थी पर दिमाग का एक हिस्सा, तैयारी से जुड़े संघर्षों का सामना फिरसे नहीं करना चाहता था। दूसरे एटेम्पट में भी असफलता हाथ लगी। थोड़े हताश मन के साथ तीसरे एटेम्पट की तैयारी करने में जुट गए। जोश अब भी पहले जैसा ही था पर अब संघर्षो का बोझ दोगुना हो गया था। नहीं मिली सफलता तीसरे एटेम्पट में भी। अब चौथे एटेम्पट से पहले थोड़ा ब्रेक लिया और आंकलन किया अपनी तैयारी से जुड़ी गलतियों में। पढ़ाई सम्बंधित अपने दृष्टिकोण को तोह बदला ही और साथ ही अपने संघर्षों से जुड़े डर को भी ठीक किया। निष्कर्ष ये है की मैंने एटेम्पट के रूप में दूसरे मौके से मिलने वाले डर पर काबू पा लिया था। जिसका प्रभाव ये था की चौथा एटेम्पट मेरा सबसे बढ़िया एटेम्पट था और मुझे लगा भी था की इस बार मैन्स का चरण पास हो जाना चाहिए। पर फिरसे असफलता मिली। लेकिन इस बार मैं निराश नहीं हुआ क्यूंकि मुझे अब अपने संघर्षों से प्यार हो गया था। मैंने सिविल सर्विसेज के और एटेम्पट नहीं दिए पर अब मुझे यकीन था की मैं अपनी मेहनत और संघर्ष से व्यावासिक क्षेत्र में सफलता पा लूंगा।
चाहे जीवन के किसी भी सन्दर्भ में हो, खेल, तैयारी, नौकरी, रिलेशनशिप इत्यादि दूसरे मौके का अवसर जरूर आता है हमारे सामने। दूसरा मौका डराता जरूर है पर यदि हम अपने डर से ही नहीं जीत सकते तोह इस दुनिया में क्या ही कुछ जीत सकेंगे? खुद को दूसरा मौका देना चाहिए हमें, वो हमें समझदार के साथ साहसिक भी बनाता है। बाकी उससे मिलने वाला अनुभव तोह हमें बेहतर इंसान बनाएगा ही।
P.S.- हर कल ज़िन्दगी जीने का दूसरा मौका है।
#30_DAYS_SERIES
सत्य है
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