
सबसे पहले गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। 😇
गुरु कौन है?
गुरु हर वो शक्श और वो चीज़ है,
जिससे हम कुछ सीखते हैं।
सीखते तोह हम बहुत से लोगों से और खुद से भी हैं।
सीखते तोह हम प्रकृति से और वस्तुओं से भी हैं।
सीखना तोह परिस्तिथति और समय के अनुसार चलता है।
सीखना हमारी जिज्ञासा के लिए, बेहतरी के लिए जरुरी है।
सीखना तोह हमारी उत्तर-जीविता के लिए भी मह्त्वपूर्ण है।
सीखना तोह एक निरंतर प्रक्रिया है।
पर महज सीखना तोह एक हिस्सा हुआ।
सीखने का दूसरा जरुरी हिस्सा है ,
सीखी हुई बातों को लागू करना।
हम हर दिन या तोह कुछ सीख रहे होते हैं या
सीखी हुई चीज़ का आवेदन कर रहे होते हैं।
सीखना ही जीवन है।
सीखना बंद मतलब जीवन बंद।
सीखना हमको विनम्र बनाता है।
सीखना हमारे अहंकार को नियंत्रण में रखता है।
सीखना एक बहुत ही खुबसुरत निजी क्रिया है।
इसलिए आज के दिन अपनी सीखों का अनुष्ठान करें
और धन्यवाद प्रकट करें, जिन्होंने हमें कुछ भी सिखाया है।
मेरा प्यार और आभार मेरे गुरुओं के लिए 🙏
