
हर सफल इंसान अपनी अवार्ड स्पीच में अपने करीबी लोगों का आभार प्रकट करता है। किताबों में भी एक पन्ना कृतज्ञता को बयान करने के लिए लिखा जाता है। मुश्किल समय में कोई हमारा नुक्सान होने से बचा ले, तोह हम उनके एहसानमंद हो जाते हैं। इंसान अपने जीवन में आभारी रहने की अहमियता को समझता जरूर है।
मेरा मानना है की हम कितना भी स्वतंत्र जीवन शैली की तरफ बढ़ जाए, हमारे व्यवहार में आभारी रहने की गुणवत्ता नहीं जानी चाहिए। काम से, धन से, पढ़ाई से, सम्पति से चाहे हम कितने भी बलवान हों, घर में सफाई, खाना तोह दूसरों के सहयोग से ही बन पाता है। हमें शसक्त जीवन देने में हमारे, स्कूल का कॉलेज का, समाज का भी बहुत योगदान रहता हैं। परिवार और दोस्तों के समर्थन के बिना तोह मनुष्य जीवन संभव ही नहीं है। इन सारी बातों का एहसास हम सबको है। पर फिर भी हम भूल जाते हैं दूसरों के प्रति आभार के बारे में। हम कृतज्ञता बयान करने से कतराते हैं। उस पल का इंतज़ार करते हैं, की जब हमें कोई अवार्ड मिलेगा तब अपनों का आभार प्रकट करेंगे।
हर अच्छा दिन ख़ुशी से बिता पाना किसी अवार्ड प्राप्त करने से कम नहीं है। हर बुरा दिन भी झेल जाना बहुत हिम्मती काम होता है। ऐसे समय में स्वयं के कौशल का, व्यवहार का, जज्बे का का आभार भी प्रकट जरूर करें। अगर हमारी काबिलियत हमें बेहतर बना सकती है तोह वो दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में भी योगदान दे सकती है। सफलता-असफलता दोनों समय में दूसरों का सहारा लगता है। यूँ समझ लीजिये की, दूसरे हमें उपहार के रूप में हर रोज़ अपना सहयोग दे रहे हैं, तोह हमें भी आभार के रूप में उन्हें वापसी उपहार देना आना चाहिए।
P.S- आभार प्रकट करना एक अच्छे व्यक्त्तिव की पहचान हैं।
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