
2008 की बात है जब मोहल्ले में एक भैया के पास मोबाइल रहता था। शाम के क्रिकेट के बाद, जब सब लोग घर निकल जाते थे, तब मोबाइल वाले भैया के साथ 2-3 लोग ग्राउंड के एक कोने में 15-20 मिनट रुकते और फिर घर निकलते। ऐसे ही एक दिन मोबाइल वाले भैया ने मुझे भी रोक लिया। 14 साल का था मैं, जब मैंने पहली बार पोर्न देखी। दिमाग चकराया, अजीब सा भी लगा पर पोर्न की दुनिया से रूबरू हो गया।
अब देखो पोर्न सब देखते है तो मुझे अभी जज करके कुछ फायदा नहीं होगा। पूरे दुनिया में जैसे काला धन, जातिवाद, पितृसत्ता, घूस देने जैसी गतिविधियों को गलत मानते हुए भी सब करते है, वैसा ही कुछ हिसाब पोर्न देखने का भी है। पोर्न बैन पर कई बार बातें हो चुकी है, कुछ कानून भी आये है, पर वेबसाइट के नाम बदल बदल कर और व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी के माध्यम से आज भी पोर्न की सप्लाई दुरुस्त है। इससे ये तो पता चल रहा है की पोर्न को गलत बोलने वाले कम और देखने वाले ज्यादा है।
अब अपने देश में जहा सेक्स को टैबू की तरह देखा जाता है, वहाँ पर पोर्न देखना तो किसी अपराध से कम नहीं है। डिजिटल क्रांति से ऑनलाइन एजुकेशन/सर्विसेज भले ही न पहुँची हो पर पोर्न हर कोने में पहुँच चुकी है। पोर्न के कारण चाइल्ड प्रोस्टिट्यूशन, रेप और उत्तेजित स्वभाव को बढ़ावा तो मिला है। पर उसमे केवल पोर्न का दोष नहीं है, कानूनी परिवर्तन ना होना ज्यादा ज़िम्मेदार है। मैं पोर्न देखने को बढ़ावा देने की कोशिश नहीं कर रहा। मैं बस ये बता रहा हूँ कि केवल पोर्न बैन से, पोर्न से उपजी हुई समस्याओं का निवारण नहीं हो सकेगा। दारु बैन का संपूर्ण असर दिखा है क्या अभी तक?
कई सालों से देश में सेक्स एजुकेशन पर चर्चा चल रही है, कुछ भले लोग बात कर भी रहे है, पर अभी भी इसके सक्रिय होने में बोहोत समय है। इसकी गति अगर बढ़ानी हो तो पोर्न एजुकेशन पर भी चर्चा शुरू होनी चाहिए। पोर्न एजुकेशन में सबसे पहले तोह ये क्लियर करना चाहिए कि पोर्न देखना कोई पाप नहीं है। हाँ, सच में, पोर्न देखने के बाद मुझे तो कभी भी पाप करने जैसी फीलिंगस आयी ही नहीं। दूसरा, पोर्न एजुकेशन में ये समझाना कि पोर्न, सेक्स और वास्तविक सेक्स में बहुत अंतर होता है। इसलिए पोर्न में बताये गए हानिकारक स्टंट्स से बचें और बचाएँ। पोर्न की लत को लेकर घर/स्कूल/कॉलेज/ऑफिस/रेलशनशिप्स पर बात करें। यदि कोई शिकार है तो उससे शर्मिंदा करने की बजाये उसकी किसी प्रकार मदद करें।
आज मोबाइल सबके पास है, बड़े भैया हो या छोटा बाबू। कोई भी, कही भी व कभी भी पोर्न देख सकता है, अलग से ग्राउंड में रुकने की जरूरत नहीं है। आवश्यकता तो उन बड़े भैया की है, जो पोर्न दिखाए नहीं बल्कि पोर्न एजुकेशन के बारें में समझाए।
Very thoughtful & beautifully written
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Thanks for the kind words 🙂
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