Thomso हमारे कॉलेज आईआईटी रुड़की का कल्चरल फेस्ट का नाम है। सरल भाषा में समझाया जाए तोह आईआईटी रुड़की में 3 दिन चलने वाला एनुअल फंक्शन को Thomso कहते है। Thomso में आनंद और हिस्सा लेने देश भर के कॉलेजों से लोग आते हैं। सच बोलूं तोह सभी लोगों से हमें मतलब रहता भी नहीं था। हमारा तोह मुख्य ध्यान दूसरे कॉलेजों से आयी सुकन्याओं पर ही रहता था। आप मुझे जज कर लो पर उस ज़माने, उस उम्र और उस माहौल में ये ही सोच थी हमारी। 😅

सेकंड ईयर में थे हम लोग और Thomso में इतनी सारी सुकन्याओं के पदापर्ण से आईआईटी रुड़की की भूमि का रंग ही बदल गया था। अध्भुत सुन्दर। अब इतनी सारी सुकन्याओं की भीड़ की दिक्कत ये भी होती है की हमारे जैसे लोग भी बहुत रहते है। उनसे बातचीत करने के लिए इतना भयानक कम्पटीशन रहता है , जैसे के आईआईटी एग्जाम की तैयारी में रहता था। मेरी तैयारी भी फर्स्ट ईयर से चल रही थी कॉलेज में अपना भोकाल बना कर। यूँ समझ लीजिये की सभी प्रचलित सीनियर्स को हम और वो हमें जानते थे। अब वो पल भी आ गया था Thomso में जब जान-पहचान का सदुपयोग किया जा सके। 😄

Thomso में एक ग्लैमरस इवेंट होता है Mr & Ms Thomso कनवोकेशन हॉल में 2000 लोगों के बीच। कनवोकेशन हॉल में एंट्री के २ गेट है, एक आम जनता के लिए जहाँ पर लम्बी कतार में खड़ा रहना होता है और दूसरा गेट होता है वीआईपी लोगों के लिए जहाँ पर जान-पहचान के सहारे से एंट्री हो जाती है। इन दोनों गेट के बीच कुछ 5 मीटर का फासला है। उसी फासले के बीच मुझे एक कूल-सी सुकन्या दिखी। अच्छी लगी मुझे। व्यावहारिक स्वभाव होने के नाते मैं उनकी ओर गया और पूछ लिया,” कोई मदद चाहिए ,आपको”? कूल-सी सुकन्या शायद ऐसे ही किसी शक्श और सवाल का इंतज़ार कर रही थी। उन्होंने थोड़े तेवर के साथ जवाब दिया,”वो लम्बी कतार में खड़ा होने का मन नहीं है और वो वीआईपी गेट से जाने जैसी जान पहचान नहीं है।” 😉

अपन ने ऑफर दिया की आप मेरे साथ चलिए वीआईपी गेट से, आपकी जान-पहचान वाली समस्या का समाधान हो जाएगा।कूल-सी सुकन्या ने मुस्कान देकर साथ चलने की हामी भर दी। कनवोकेशन हॉल के अंदर पहुंचकर लेफ्ट साइड की तीसरी रौ में एक अच्छी सीट पर उन्हें बैठा दिया।। उन्होंने मुझे साथ में बैठने का प्रस्ताव रखा। मैंने बड़े ही अदब से उन्हें जवाब दिया की, “मेरे सभी मित्रगण उधर राइट साइड की चौथी रौ में है, मैं उनके साथ बैठूंगा।आप आराम से इवेंट एन्जॉय करें, मैं आपको इवेंट के बाद आकर मिलता हूँ।” मेरे जाने से पहले उन्होंने मेरा नाम पूछा। मैंने कहा की इवेंट के बाद में मिलकर बताता हूँ। 😊

हाँ, मुझे पता है अभी आप और शायद उस वक़्त वो कूल-सी सुकन्या ने भी सोचा होगा की मैं ऐसे नखरे क्यों कर रहा था? तोह ऐसा है की जिस मंज़िल पर मुझे जाना था, वो सीधे रास्ते रास्ते पर जाकर भी मिल सकती थी पर मुझे ना दूसरे रास्ते से मंज़िल को पाना था। सो बैठ गए हम अपनी-अपनी जगह। फिर इवेंट के मध्यकाल में आया ब्रेक। इवेंट के आयोजकों ने ब्रेक में माहौल को बनाये रखने के लिए हॉल में बैठी हुई जनता को आमंत्रित किया स्टेज पर परफॉरमेंस देने के लिए। बस उठ कर चल दिया मैं अपनी सीट से स्टेज की ओर। इवेंट वालों ने भी उस ज़माने का सबसे छिछोरा आइटम नंबर लगा दिया मेरे लिए। मेरी प्रस्तुति वहाँ के माहौल को अपने चरम पर ले गयी। तालियां ,सीटियां और हूटिंग हॉल के हर कोने से आ रही थी। 😍

स्वाभाविक था की वो 2000 लोग इम्प्रेस हुए होंगे और उनमे से वो कूल-सी सुकन्या पर भी प्रभाव पड़ा होगा। इवेंट के आयोजक ने स्टेज पर मेरा नाम लेकर सबसे तालियां बजवाई जो की मुझे रॉकस्टार वाली फीलिंग लगी। इवेंट ख़तम और अपने वादे अनुसार मैं, कूल-सी सुकन्या के पास पहुँच गया। वो चहक कर बोली,”अरे वाह! लक्ष्य तुम ने बहुत ही अच्छा डांस किया।” भीनी मुस्कान के साथ अपन ने जवाब दिया,”मैं वैसे बातें भी बहुत अच्छी करता हूँ।” बस फिर क्या था, Thomso के अगले 3 दिन और अगले 3 हफ्ते बड़े ही खूबसूरत बीतें हमारें। 😇

प्रस्तुति का लिंक नीचे है
https://www.facebook.com/lakshay.choudhary.35/videos/395670210526674

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