
सब ठीक हो जाएगा। ये लाइन हम सबने जीवन के हर अवस्था में सुनी होगी। अपनी चोट से, हादसे से, नुक्सान से, सम्बन्ध विछेद जैसे कई घटनाओं से हम ठीक होना चाहते हैं। पर इन सब घटनाओं का दुःख-दर्द इतनी पीड़ा देता है की ऐसा लगने लगता है की उनके दर्द से उभर पाना मुश्किल होगा।
मेरे लिए 2021 का दूसरा छमाही भी कुछ ऐसे ही बीता था। जीवन में उस दौरान कुछ भी सही नहीं हो रहा था। कुछ अच्छा नहीं लग रहा था और कुछ समझ भी नहीं आ रहा था। डर भी लगने लगा था की इस स्तिथि से निकल पाऊँगा की नहीं। आज मैं उस समय के बारे में बात कर पाता हूँ पर उस वक़्त अपने इस डर का ज़िक्र भी नहीं कर पाया था। पर ठीक होना था मुझे। वापस आना था, मुझे सामान्य अवस्था में। पीड़ा होती थी, पर हर दिन छोटे-छोटे कदम लेता रहा ठीक होने की दिशा में। आज उन्ही प्रयासों के कारण बेहतर स्तिथि में हूँ। ठीक होने के बाद एक नए आत्मविश्वास, परिप्रेक्ष्य और विनयपूर्ण के साथ वापसी हुई है। अब कभी कोई हालचाल पूछता है तोह जवाब में “खुश हूँ” कहता हूँ।
सबका कष्ट निजी होता है, उससे जुड़ा दुःख, दर्द, गुस्सा सब कुछ बहुत निजी होता है। आस-पास के कुछ लोग समझते भी होंगे और सहयोग भी करते होंगे ठीक होने में। पर सबकी ठीक होनी की गति भी निजी होती है। कष्ट वाला दौर कठिन होता है और उससे निकल पाना और भी कठिन। ठीक होने के लिए दवा, दुआ और कई प्रक्रिया भी लगती हैं। पर इन सबसे पहले और जरुरी होनी चाहिए हमारे ठीक होने की चाह। बाकी आप जानते ही हैं, अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे उससे मिलाने में लग जाती है।
P.S- अगर आप सोचते हैं कि ज़िन्दगी बदलने में समय लगता है, तोह आप सही हैं, समय लगता है पर ज़िन्दगी बदलती है।
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