
खुद को समझने के प्रयास को आत्म जागरूकता कहा जाता है। हम सब अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा दूसरों (अपने और परायों) की जरूरतों, कामों और खुशियों में लगा देते हैं और खुद को प्राथमिकता देने में थोड़ी कम मेहनत करते हैं। आत्म जागरूकता इसी दूसरों vs खुद की प्राथमिकता के बीच संतुलन बनाने का कार्य करती है। देखो जीवन में होने वाली घटनाओं पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है, पर उन घटनाओं पे हमारी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए इसका नियंत्रण हम आत्म जागरूकता के सहारे कर सकते हैं।
आज मैं भलीभांति जानता हूँ की दूसरों की कोनसी बातें हैं जो मुझे आहात या ट्रिगर कर सकती है। पर मेरी जागरूकता ने मुझे ऐसे पलों में शांत रहना सीखा दिया है। मेरी जागरूकता मुझे बहुत होंसला देती है कठिन वक़्त के समय। आज भी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जीवन में, जिसका बड़ा मलाल है। पर जागरूकता ही है जो रोज़ तस्सली देती है की सब ठीक हो जाएगा तू परेशान ना हो। इस आत्म जागरूकता ने मुझे छोटे-छोटे कार्य जैसे बच्चों के साथ खेलना, निम्बू पानी पीना, सोने से पहले संगीत सुनना इत्यादि में खुशियां ढूंढ़ना सीखा दिया है।
मेरी आत्म जागरूकता आती है स्वयं से बातें करके, जो की मैं बहुत करता हूँ। जैसे मैं दूसरों से बात करते वक़्त, उनका दिन कैसा रहा, क्या मज़्ज़े किये, क्या प्लान्स आगे के जैसे आम सवाल जो उनसे पूछता हूँ, ठीक उसी प्रकार मैं खुद का हालचाल पूछता हूँ। ये प्रक्रिया मुझे अपने आप को समझने में बेहतर बनाती है। इस आत्म जागरूकता की प्रक्रिया ने ही मुझे स्वयं से प्यार करना सिखाया है। स्वयं प्रेम और स्वार्थी प्रेम में बड़ा अंतर होता हैं, और जो आत्म जागरूक है उन्हें इसके बारे में पता है।
P.S- हमारे अनुभवों बहुत कुछ सीखा सकते हैं हमें, क्यूंकि वो सिर्फ हमारे होते हैं।
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