
सपनों के पीछे का विज्ञान बड़ा दिलचस्प है। ये दिमाग में बैठी जानकारियों और कल्पनाओं के मिश्रण का एक अध्भुत व्यंजन है। सपनों के इस मिश्रण में हमारी ख्वाइशें और उद्देश्य दो मुख्य सामग्री रहती हैं। यह व्यंजन सकारात्मकता की मद्धम आंच पर और भी बेहतरीन पकते हैं। कभी-कभी नकारात्मकता वाले मसाले और बुरी परिस्तिथि वाला नमक, सपनों का स्वाद ख़राब भी कर देता है।
जैसे हम बड़े होने लगे वैसे ही हमारे सपनों की कल्पनाएं भी सिमित होने लगी। जीवन की वास्तविकता से रूबरू होने के बाद हमारे सपनों के क्षेत्र भी पढाई, कमाई के इर्द-गिर्द घूमने लग जाते हैं। अब जब हमारे सपने पूरे होते हैं, तोह वो सफलता के किस्से बन जाते हैं, और जो ना पूरे होते हैं, तोह वो एक याद बन कर रह जातें है। हमारे सपनों की दुनिया का बड़ा प्रभाव है हमपर। कुछ सपने हमें सोने नहीं देते तथा कुछ सपनों के साथ क्या बेहतरीन नींद आती है।
हमें सपनों के साथ क्या करना चाहिए, इसका निर्णय हमारा निजी है। मुझे मेरे सपनों और वास्तविकता का अंतर पता है। मैं तोह मानता हूँ की कई बार मेरे सपने इतने बड़े होते हैं की वो मेरे यथार्थ की काया पलट देने का दावा कर देते हैं। और अगर वो सचाई ना बदल सकें, तोह मैं सपनों से शिकायत नहीं करता। बस फिर एक दूसरे सपने के साथ अपने खवाबों और उदेश्यों का लज़ीज़ व्यंजन बनाना शुरू कर देता हूँ।
P.S- भरपूर कोशिश करना, अपने सपनों को सपने मत रहने देना।
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