इन दिनों एक पॉडकास्ट सुना जिसमे कुमार बिरला सर ने पॉडकास्ट के एकदम अंत में सॉफ्ट पावर ऑफ़ कंसिस्टेंसी (स्थिरता) का जिक्र किया। उन्होंने इसके ऊपर कुछ २० सेकंड बात करी और इसके महत्व को समझने के लिए कहा।
बस उसके बाद ही मैं लग गया, सॉफ्ट पावर ऑफ़ कंसिस्टेंसी (स्थिरता) को समझने में।

अब कंसिस्टेंसी (स्थिरता) शब्द तोह हमने बहुत बार, बहुत से क्षेत्रों में इसका अनिवार्य होने के बारें में सुन रखा है। सरल भाषा में कंसिस्टेंसी (स्थिरता) को निरंतरता से सम्भोधित किया जाता है और अमूमन हर इंसान इसके महत्व को समझता है। पर सॉफ्ट पावर ऑफ़ कंसिस्टेंसी (स्थिरता) केवल निरंतरता तक सीमित नहीं है। यह दर्शाता है की कंसिस्टेंसी (स्थिरता) से एक विश्वास भी पैदा होता है और यह दूसरों को बिना किसी दबाव के प्रेरित भी करता है।

कंसिस्टेंसी (स्थिरता) का होना अक्सर मुख्यों कार्यों में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने अथवा अनुशाशन बनाये रखने के लिए कारगर साबित होता है। वही सॉफ्ट पावर ऑफ़ कंसिस्टेंसी (स्थिरता) हमारी छवि को प्रशंसनीय और लोगों के साथ एक गहरे सम्बन्ध की नीव बनाने में भी योगदान देता है।

संक्षेप में, जहाँ कंसिस्टेंसी (स्थिरता) लगातार कार्य करने के बारे में है, सॉफ्ट पावर ऑफ़ कंसिस्टेंसी उस स्थिरता से अर्जित विश्वास और प्रभाव के बारे में है।

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