
असफलता जीवन का वो पन्ना है जिसे पढ़ते वक़्त हमें सबसे ज्यादा कष्ट होता है। अगर सफलता हमारे जीवन को बेहतर बनाती है तोह वही असफलता हमारे आत्मविश्वास की धज़्ज़िया उड़ाती है। मनोदशा ख़राब होना, खाना बेस्वाद लगना, नींद ना आना आदि असफलता के बाद के आम लक्षण है। असफलता हमें बेचैन करती है, डरपोक बनाती है, होंसला कम कर देती है, तथा काबिलियत पर सवाल खड़े कर देती है। कुल मिलाकर असफलता हमें ही अपने नज़रों में नीचे गिरा देती है।
मैं तोह खुद असफलता के कुछ लक्षणों का भुगतभोगी हूँ। असफलता के बाद अपनी हर गलती का अधिक विश्लेषण करके खुद को दुनिया का सबसे बड़ा गुनाहकर घोषित भी कर देता हूँ। असफलता से मिले विचारों के साथ मेरे दिमाग का सकारात्मक भाग रोज़ लड़ाई करता है सो अलग। फिर समय अनुसार इस दौर से उभर जाता हूँ। असफलता में मिले ख़राब समय को देखने के बाद अपने अच्छे समय का सही मूल्य का एहसास होता है। बस इसी असफलता के प्रकाश के साथ मैं अगली सफलता ढूंढने में लग जाता हूँ।
सफलता पाने के लिए असफलता कितनी जरुरी है, इसके बारे में हम सबने सुन रखा है। जैसे सफलता पाने के लिए अपनों का समर्थन चाहिए होता है वैसे ही असफलता का सामना करने के लिए अपनों का सहारा चाहिए होता है। असफलता हमें बेचैन करती है, पर हमें अपनी कमियों का सही रूप दिखाती है। डरपोक बनाती है पर फिरसे उठने का साहस भी देती है। होंसला कम कर देती है, पर एक नए आत्मविश्वास को उत्पन भी करती है। काबिलियत पर सवाल खड़े कर देती है पर अपने कौशल को और बेहतर करने का अवसर देती है । असफलता कुछ पलों के लिए हमें भले ही अपने नज़रों में नीचे गिरा देती है पर दुबारा उठ खड़े होकर फ़तेह करने का एक नया विश्वास देती है।
P.S- असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो। क्या कमी रह गई, देखो और सुधर करो।
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