
हम दुनिया में कोई भी काम कर सकते हैं अगर खुशी उसका उपोत्पाद हो तोह। पैसे कामना, दोस्तों के साथ मज़े करना, परिवार के साथ वक़्त बिताना, मदद करना, खेल खेलना, खाना खिलाना, भक्ति करना, सफलता पाना आदि हर कार्य के पीछे ख़ुशी मिलना एक मुख्य कारण रहता है। ये खुशियों का भाव ही है जो “यह दिल मांगे मोर” का नारा लगवाती है मन में और दुबारा ये सब कार्य करवाने की प्रेरणा देती है।
मुझे ख़ुशी मिलती है अपनों के साथ बातें करने में। बच्चों के साथ खेलने में। आलू परांठा और पिज़्ज़ा खाने में। किताबें पढ़ने में। पसंदीदा फिल्में और टीवी सीरीज दुबारा देखने में। मेरे जीवन में दोनों, गैर भौतिकवादी और भौतिकवादी खुशियों का अपना स्थान है। ख़ुशी के पैमाने उम्र के साथ बदलते जरूर हैं, पर हर अवस्था में समान रूप से शरीर में आनंद के भावों को जाग्रत कर देतें हैं। ऐसा नहीं की मैं हर वक़्त खुश रहता हूँ। मेरे भी जीवन में नाखुश और उबाऊ दौर समय-समय पर आते हैं। पर मुझे खुश रहना पसंद है। मुझे खुश लोगों का साथ पसंद है। इसलिए मैंने अपनी खुशियों को पहचाना शुरू कर दिया है ताकि मैं उन पलों का पूरा आनंद ले सकूँ।
यह भी एक कटु सत्य है की जीवन से दुःख-दर्द, द्वेष-इर्षा, गुस्सा, लड़ाई, नकारात्मकता जैसे भाव कही नहीं जाने वाले हैं और हमें इनका सामना भी करते रहना होगा। पर जब भी हम ऐसे कठिन दौर से उभर जाए तोह हमें खुशियों को अपनाना आना चाहिए। खुशियाँ प्राप्त करना एक अच्छे लालच के समान हैं, ये हमें अपने लक्ष्य की ओर ही लेकर जाता है।
P.S- खुश रहो, खुश रखो।
#30_DAYS_SERIES