
बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड का जन्म 14 अरब साल पहले हुआ था। तबसे ही ब्रह्माण्ड विस्तृत हुए जा रहा है और एक विराट स्वरुप ले चुका है। कभी-कभी सोचता हूँ की इतने बड़े ब्रह्माण्ड में हम तुच्छ इंसानों का क्या मूल्य है? हमारी राय, सोच, बातें, कार्य करने या ना करने से क्या ही फर्क पड़ता होगा सृष्टि के संचालन में?
सृष्टि का हमारे जीवन से बड़ा गहरा सम्बन्ध है। यह सृष्टि के नियम ही हैं जो हमें उतर जीवित रखने में मदद करते हैं। जैसे ब्रह्माण्ड में सब कुछ समाया हुआ है, वैसे ही हमारे अंदर भावनाएं, सोच, क्षमताएं, अच्छे-बुरे मूल्य समां रखे हैं। जैसे ब्रह्माण्ड के विकास के लिए निर्माण और विनाश की प्रक्रिया चलती आयी है, वैसे ही हमारा जीवन भी लाभ-हानि, सुख-दुःख, पर बनता आया है। जैसे ब्रह्माण्ड में एक समय में बहु-कार्य चल रहे हैं, ठीक उसी तरह हमारी सोच, राय, और कार्य के बहु-प्रभाव भी कई क्षेत्रों में होते हैं । ब्रह्माण्ड में हर अच्छी वस्तु बनने में काफी समय लगा है ठीक वैसे ही हमें अपने जीवन के सुखद अनुभव, धैर्य अपनाने के बाद ही मिलते हैं। जैसे ब्रह्माण्ड के अनेक रहस्यों से आज भी हम अनभिज्ञ हैं, ठीक वैसे ही हमें अपनी कुशलता, निपुणता और उद्देश्य की तलाश है।
सृष्टि के ये सब नियम ही हमें जोड़ कर रखते हैं। हम सब एक-दूसरे की सफलता-असफलता, ख़ुशी-गम, जीवन-मृत्यु से जुड़ें हुए हैं। जितना हम सृषिट के नियमों को समझेंगे और स्वीकार करेंगे उतना ही हमारे जीवन का सफर आसान हो सकेगा। ब्रह्माण्ड भी अपने जन्म के समय में मामूली-सा प्रोटोन था, जो ऊर्जा से भर रखा था। जब उसके हित अनुसार सही तापमान और समय आया, वो फट्टा और आज इतने विशाल रूप में आकर ले लिया। बस हमारी ऊर्जा को भी सही दिशा, कार्यान्वयन और भाग्य का मिलन बहुप्रतीक्षित है।
P.S- ब्रह्माण्ड के नियम आम ही हैं बस समझने वाले इसे ख़ास बना देते हैं।
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