एक छोटा भाई है हमारा गुड्डू , कॉलेज जाने के लिए एकदम तैयार। पर कोरोना के चक्कर में मुश्किल ही है की उसे कॉलेज जाना पड़े। कल थोड़ा आत्मा चिंतन के मूड में था वो, पूछा उसने की, "भईया कॉलेज ना जाने से जीवन में क्या मिस होने वाला है?" प्लास्टिक कुर्सी पर बैठे, अखभार … Continue reading मेस का खाना
एक सच सुनोगे
सच कड़वा होता है ये कहावत तो हम सबने सुनी है। मोहल्ले के कुछ लोग, स्कूल के कुछ साथी व टीचर्स और कॉलेज में कुछ मित्रोजनो के द्वारा एक सच मुझे भी कड़वा लगता था , जब वो मुझे अति आत्मविश्वासी बुलाते थे। हमेशा नहीं पर कभी-कभी इस बात को सुनकर बुरा लग ही जाता … Continue reading एक सच सुनोगे
दास्तान-ऐ-पजामा
जैसा की मैं कई बार बता चुका हूँ की कॉलेज (आईआईटी रुड़की) में अपना भोकाल अप्पार था। घमंड की बात नहीं है, बस ये है की वो भोकाल भी मेहनत से बना था। लोगो से अच्छे रिश्ते बनाना, मदद लेना और करना और उनके साथ व्यवहार रखना, ये सब मुझे पसंद भी था और मैंने … Continue reading दास्तान-ऐ-पजामा
पोर्न एजुकेशन
2008 की बात है जब मोहल्ले में एक भैया के पास मोबाइल रहता था। शाम के क्रिकेट के बाद, जब सब लोग घर निकल जाते थे, तब मोबाइल वाले भैया के साथ 2-3 लोग ग्राउंड के एक कोने में 15-20 मिनट रुकते और फिर घर निकलते। ऐसे ही एक दिन मोबाइल वाले भैया ने मुझे … Continue reading पोर्न एजुकेशन
घर वापसी
हमारे घर के सामने एक पार्क है जो की हमारे खेलने वाले दिनों में हमारे लिए लॉर्ड्स ग्राउंड से कम नहीं था। आज भले ही हम संडे को फ्री रहते है, पर उस ज़माने का संडे, क्रिकेट मैचों में फुल बिज़ी निकलता था। उन दिनों में, ना गर्मी, ना ठंड, कोई हमें खेलने से रोक … Continue reading घर वापसी
सही फैसला
हर रोज़ की तरह JNU लाइब्रेरी से ठीक 12:30 के बाद अपन कावेरी मेस में लंच के लिए निकल लिए। 4 कदम निकला ही था कि एक मित्र मिल गया और 2 मिनट का वार्तालाप 1 घंटे की चर्चा में बदल गया। 1:30 बज चुके थे और अब मेस की लाइन में खड़ा होने का … Continue reading सही फैसला
टीटीई साहब और तनाव
कल मुंबई से जोधपुर के लिए सूर्यनगरी एक्सप्रेस में बैठा था। कोरोना जैसी आपदा के बीच घर जाने का उत्साह भी था और थोड़ा डर भी। ट्रैन में भी माहौल थोड़ा गंभीर सा था। मेरे लिए सफर बिना किसी के साथ बातचीत हुए थोड़ा मुश्किल सा निकलता है। ट्रैन में फ़ोन का नेटवर्क भी भगवान् … Continue reading टीटीई साहब और तनाव
A story of Babu
Back in 2015, the year of my graduation, I got an on-campus placement offer from a civil construction firm in Pune. I joined the company somewhere around mid-June. I was a part of the site's Quality Control team, responsible for looking and maintaining the quality standards of the residential projects. At one of my sites, … Continue reading A story of Babu
Dullaram
I live in a decent society of Jodhpur, whose center point is the green and beautiful rectangular shaped park (for me it was like 2nd home). In our society, there used to live Dullaram all alone in the corner site of society. His house had two rooms and a big courtyard outside with only one … Continue reading Dullaram
