मृत्यु निश्चित है। मृत्यु एक अटल सत्य और तथ्य है। मृत्यु को समझना मुश्किल नहीं है पर उसको स्वीकार करना बहुत कठिन है। पहले तोह जीवन में जीने की तरीके सीखो, अपनों के लिए कार्य करो, सुख-दुःख बांटो, उद्देश्य पूरा करो और अंत में, मृत्यु से मिलो। जितना जीया, जितना बनाया, जितना कमाया, सब ख़तम हो जाता है एक पल में। 

मृत्यु से जुड़ा है दुःख।
मृत्यु से जुड़ा है दर्द।
मृत्यु से जुड़ा है डर।
मृत्यु से जुड़ी है नकारता।
मृत्यु से जुड़ी है नकरताकमकता।

इंसान की मृत्यु का प्रभाव सीधा उसके अपनों के जीवन पर पड़ता है। यह इतना निजी प्रभाव होता है,की हर इंसान इसे समझने में और उभरने में अपना तरीका ढूंढ़ता है। जीवन का चक्का तोह चलता रहता है पर मृत्यु द्वारा जीवन में ब्रेक का भय दिमाग के एक कोने में बैठ जाता है। मृत्यु को संकल्पना के तौर पर मैं खुद अभी तक पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पाया हूँ, इसलिए ज्यादा लिखने की योग्यता नहीं रखता इस विषय पर। समय और विवेक दोनों लगेगा इसकी स्वीकृति में।

#30_DAYS_SERIES

Leave a comment